रेल में आरपीएफ की भूमिका
सामान्य तौर पर प्लेटफार्म टिकट दर बढ़ाए जाने से किसी को कोई ऐतराज नहीं है।
क्योंकि लगभग सब यह मानते हैं कि इससे प्लेटफार्म पर अनावश्यक भीड़ कम करने में मदद होगी, और रेलवे की आय भी थोड़ी बढ़ सकती है।
इसके पीछे सरकार और रेल प्रशासन की वही सोच काम कर रही है, जो बेटिकट यात्रियों की जुर्माना राशि ₹50 से बढ़ाकर सीधे ₹250 किए जाने की थी।
परंतु क्या “बेटिकट” यात्री कम हुए? क्या रेल प्रशासन उन्हें रोक पाने में सफल हो पाया? नहीं, बिल्कुल नहीं! मगर रेलवे की आय में “बेरहम” वृद्धि अवश्य हुई।
रेल प्रशासन रेलयात्रियों का और सरकार जनता का ही “तेल” हर बार क्यों निकालना चाहती है?
रेल ने जो 70 हजार आरपीएफ जवान और 5-7 सौ आरपीएफ अफसर पाल रखे हैं, वह अनधिकृत लोगों को क्यों नहीं रोकते?
रेल की यह खुद की फोर्स है। इसका हर खर्च रेल द्वारा ही वहन किया जाता है। फिर रेल में लाखों अवैध वेंडर कैसे चल रहे हैं?
आरपीएफ के रहते अनधिकृत लोग रेल परिसरों, स्टेशनों और प्लेटफार्मों पर कैसे घुस जाते हैं?
रेल की यह लगभग 72 हजार जवानों की फोर्स और इसके अधिकारी क्या सिर्फ रेल को चरने-चराने के लिए लगाए गए हैं?
इस “चारागाह” में किस-किस की भागीदारी है?
रेल प्रशासन द्वारा प्लेटफार्म टिकट दर बढ़ाने पर लोग सरकार और रेल का कर तो कुछ नहीं सकते, मगर जोक तो बना ही सकते हैं, जो खुद सरकार और व्यवस्था की विसंगतियों को ही दर्शाते हैं, देखें –
मेरा दोस्त अपने मेहमान को छोड़ने स्टेशन गया
टिकट बाबू ने प्लेटफार्म टिकट का ₹50 मांगा
भाई ने अगले स्टेशन की टिकट ₹15 में ले ली!
बात अभी खत्म नहीं हुई..
भाई ने ट्रेन जाने के तुरंत बाद टिकट कैंसल करा दी और ₹5 वापस भी ले लिया!
बहुत होशियार है मेरा दोस्त, एकदम #सरकार की तरह!
— KANAFOOSI.COM (@kanafoosi) March 22, 2021
नोट : रेलकर्मी, रेल अधिकारी और यात्रीगण इस विषय पर अपने अनुभव तथा विचार लिखकर भेज सकते हैं। योग्य और चुनिंदा अनुभवों/विचारों को प्रकाशित किया जाएगा!
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