वह कौन था जिसने पैंट्री में बैग रखवाया और सीपीटीएम/एडीजी बनकर फोन किया!
नई दिल्ली से चलकर जयनगर को जाने वाली ट्रेन 02562, स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस की पैंट्रीकार बोगी से 16 फरवरी को सुबह तीन बजे कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर जीआरपी ने सूचना पर एक लाल रंग का सूटकेस बरामद किया, जिसका कोई दावेदार सामने नहीं आया।
बैग खोलने पर उसमें करीब एक करोड़ चालीस लाख रुपए (₹1.40 करोड़) पाए गए, जिसे सील करके आयकर विभाग को सूचित किया गया है।
विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उक्त बैग नई दिल्ली स्टेशन पर पैंट्री कार में रखवाया गया था यह कहकर कि कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर स्टेशन मास्टर आकर इसे कलेक्ट करेंगे।
सूत्रों का कहना है कि बैग रखवाने वाले संदिग्ध व्यक्ति ने पहले सीपीटीएम/उत्तर रेलवे बनकर स्टेशन मास्टर कानपुर को फोन किया। परंतु थोड़ी ही देर बाद एडीजी बनकर उक्त बैग पैंट्री कार से कलेक्ट करके ऑफीसर्स रेस्ट हाउस पहुंचाने को कहा।
सूत्रों का कहना है कि इस तरह से उच्च पदस्थ नामों से बार-बार फोन किए जाने से मामला अपने आप ही संदिग्ध नजर आने लगा। तब इसकी सूचना जीआरपी और आरपीएफ दोनों को दी गई।
स्टेशन सूत्रों का कहना है कि दोनों फोर्स के सक्षम अधिकारियों ने जाकर उक्त बैग पैंट्री कार से बरामद किया। उसको खोलने से पहले सारी औपचारिकताओं का भी पालन किया गया तथा उच्च अधिकारियों को भी तत्काल सूचित कर दिया गया था। यानि 15 घंटे बाद खुलासे की कहानी भी सरासर झूठी थी।
बताते हैं कि इस सारी प्रक्रिया के दौरान वह स्थानीय रिपोर्टर भी मौजूद रहा। नोटों की गिनती भी उसके सामने ही की गई थी। तथापि उसने जीआरपी, आरपीएफ या स्टेशन मास्टर से अपनी कोई पुरानी खुंदक निकालने तथा मामले को सनसनीखेज बनाने के लिए सारी झूठी और मनगढ़ंत कहानी गढ़कर प्रकाशित की।
इस पूरे मामले की विस्तृत जांच कर पता लगाने की महती आवश्यकता है। वह व्यक्ति कौन था, जिसने पैंट्रीकार में उक्त बैग रखवाया और सीपीटीएम/एडीजी बनकर फोन किया, क्योंकि यह पूरा मामला सिर्फ भ्रष्टाचार या हवाला से ही नहीं, बल्कि लाखों रेलयात्रियों की संरक्षा-सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है।