रेल व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण नहीं, हो रही है तोड़फोड़

“सरकार भी शायद यही चाहती है, न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी”

बेसिक ट्रेनिंग के बजाय प्रोबेशनर्स को सीधे भेजा गया नायर/वडोदरा

खबर है कि सभी कैडर के जितने भी प्रोबेशनरी अफसरों ने अब तक रेलवे में ज्वाइन किया है, उन्हें सीधे नेशनल अकादमी ऑफ इंडियन रेलवे (एनएआईआर/नायर), वडोदरा में भेजा गया है।

रेलवे बोर्ड द्वारा यह काम चुपचाप किया गया है, यानि चोरी-चोरी चुपके-चुपके, जिससे कोई हो-हल्ला न मचे, मगर वह तो मच गया है, क्योंकि कई प्रोबेशनर इसके खिलाफ कोर्ट में चले गए हैं।

प्रोबेशनर्स का कहना है कि यह नियम विरुद्ध और गलत है। उनका कहना है कि जब उनका सेलेक्शन कैडरवाइज सर्विस के लिए हुआ है, तो पहले की ही भांति उन्हें उनके कैडर की बेसिक ट्रेनिंग के बाद “नायर” में भेजा जाना चाहिए था।

उन्होंने कहा कि इसीलिए बहुत सारे प्रोबेशनर कोर्ट में गए हैं। उनका कहना है कि वे ट्रैफिक, पर्सनल, एकाउंट्स की रेलवे सर्विस के लिए चुने गए हैं। उनका सेलेक्शन इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस (आईआरएमएस) के लिए नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा कि इस तरह तो उन पर जबरन “आईआरएमएस” थोपकर पूरी तरह रेल व्यवस्था को चौपट किया जा रहा है। इसके साथ ही रेलमंत्री पीयूष गोयल तथा सीआरबी/सीईओ विनोद कुमार यादव द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय सहित पूरे देश को गुमराह किया जा रहा है!

दूसरी तरफ जानकारों का कहना है कि “जब ऑफीसर्स और लेबर्स फेडरेशन मुर्दा पड़े हों तथा अपना-अपना हितसाधन करने में लगे हों, तब कुछ नहीं हो सकता!”

उन्होंने कहा कि यही वजह है कि “रविवार के दिन भी रेलमंत्री और सीआरबी लेबर फेडरेशनों के साथ मीटिंग करते हैं। जब भी वह समय मांगते हैं, उन्हें दिया जाता है, इसलिए कि इसी तरह उनको झूठे आश्वासनों का लॉलीपॉप देकर बरगलाए रखना है और साथ में रेलवे के निजीकरण तथा रेल व्यवस्था में तोड़-फोड़ के अपने एजेंडे पर चुपचाप अमल करते चलते रहना है।”

उनका कहना है कि “लगता है सरकार चाहती भी यही है, न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी। इस तरह उसे रेलवे को अधिक से अधिक प्राइवेट करने का अवसर मिलेगा।”

उन्होंने कहा कि “हालांकि प्राइवेट वाले ट्रेन चलाने में बहुत ज्यादा इंटरेस्टेड ही नहीं हैं। इसलिए ट्रेनों से एसी कोच हटाए जा रहे हैं, क्योंकि उनकी नजर दरअसल रेलवे के असैट्स पर है। यथा कैसे रेलवे स्टेशनों को बेचा जाए, वहां ऑफिस किराये पर दिए जाएं, कैसे वहां माॅल खोले जाएं, होटल बनाए जाएं, इत्यादि।”

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