रेल मंत्रालय बना रेलमंत्री का अघोषित प्रचार तंत्र
जोनल रेलों के जनसंपर्क अधिकारियों को अनावश्यक और अनुत्पादक फालतू कार्यों में लगाकर मौज-मस्ती कर रहे हैं रेलवे बोर्ड में बैठे रिटायर्ड निठल्ले तथाकथित जनसंपर्क अधिकारी
रेलमंत्री पीयूष गोयल ने रेल मंत्रालय को अघोषित रूप से केंद्र सरकार का मीडिया प्रचारतंत्र बना दिया है।कोरोना महामारी से प्रभावित अन्य देशों ने जान और जहान को ध्यान में रखकर काफी हद तक सफलता पा ली है, लेकिन अपने देश में केवल कोरोना पीड़ित और बचाव का ही जिक्र प्रमुखता से किया जा रहा है। तथापि देश भर में कोरोना के मामले 30 लाख की संख्या को पार कर गए हैं।
Concessions for Cost Effective Transportation- Indian Railways has rationalised tariffs for freight transportation: Shri Vinod Kumar Yadav, Chairman, Railway Board pic.twitter.com/pp56wpSemV
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) August 24, 2020
इसका परिणाम यह हुआ कि देश की अर्थव्यवस्था सबसे खराब दौर से गुजर रही है। जीडीपी शून्य से नीचे चली गई है। औद्योगिक विकास ठहर सा गया है।
केवल कोरोना के कारण लगभग दो करोड़ से ज्यादा लोगों का रोजगार छिन गया है।
बेरोजगारों की तो बात ही छोड़िए, जिनको रोजगार मिला था, वह भी सड़क पर आ गए हैं। उनके साथ उनसे जुड़े लोग भी बेरोजगार हो गए।
सरकार कोरोना से ठीक होने का तो जोर-शोर से प्रचार कर रही है, लेकिन बेरोजगारी को ठीक करने का कोई जिक्र कहीं नहीं है।
दूसरी तरफ रेल द्वारा इस प्रकार का बेफिजूल प्रचार – प्रसार किया जा रहा है, जैसे कि रेलवे ने कोई बहुत बड़ा किला फतह कर लिया हो, जबकि सर्वसामान्य और सर्वसुलभ ट्रेन ऑपरेशन लगभग ठप पड़ा हुआ है।
जो ट्रेनें चल भी रही हैं, उनमें से हर दिन कोई न कोई स्पेशल ट्रेन विभिन्न राज्यों के प्रतिबंधों के कारण रद्द हो रही है, मगर बातें व्यापार बढ़ाने की हो रही हैं।
ऐसा लगता है कि रेलमंत्री और रेलवे बोर्ड को इस बात का अंदाजा ही नहीं है कि रोड ट्रांसपोर्ट ने उनका व्यापार काफी हद तक हड़प लिया है और आगे भी निगलने की तैयारी कर रहा है।
रेलवे से व्यापार करने वाले व्यापारियों का कहना है कि उन्हें इस वक्त तो रेल सेवा पर बिल्कुल भरोसा नहीं रह गया है, क्योंकि ये कब अपनी सेवाएं बंद कर दें, रद्द कर दें, कुछ कहा नहीं जा सकता, जबकि सड़क यातायात हमेशा चौबीसों घंटे बिना किसी असुविधा के उपलब्ध है।
Indian Railways generates more than 6,40,000 mandays of work till 21 August 2020 under Gareeb Kalyan Rozgar Abhiyan
https://t.co/MizP5IpQpi pic.twitter.com/A77Dz9GElP
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) August 23, 2020
व्यापारियों का कहना है कि फिलहाल रेलवे से जो प्रमुख व्यापार-व्यवहार हो रहा है, वह भी मजबूरीवश ही किया जा रहा है। जिस दिन उन्हें इसका बेहतर विकल्प मिल जाएगा, उस दिन रहा सहा व्यापार भी रेलवे से विमुख हो जाएगा।
रेलमंत्री और रेलवे बोर्ड भी शायद यही चाहते हैं!
“All CPROs and incharge officers (PR) of Zonal Railways, PUs and PSUs to note that Hon’ble MR will take CPROs VC tomorrow on 25th August, 3 pm. Link will be sent tomorrow.”
The above message was given to all CPROs of Zonal Railways by DIP/RB.
जोनल जनसंपर्क अधिकारियों की व्यथा
भारतीय रेल, देश का एकमात्र ऐसा संगठन है, जहां जनसंपर्क विभाग के अधिकारी जनसंपर्क विभाग के प्रमुख नहीं बन सकते, जबकि जनसंपर्क विभाग की नौकरी के लिए पत्रकारिता में डिग्री/डिप्लोमा अनिवार्य योग्यता है। यह कहना है विभिन्न जोनल रेलों के जनसंपर्क अधिकारियों का।
उनका कहना है कि आज की तारीख में पूरी भारतीय रेल के किसी भी जोनल रेलवे में एक भी सीपीआरओ जनसंपर्क विभाग का नहीं है। सारे दूसरे विभागों से आयातित अधिकारी हैं, जिनके पास न तो जनसंपर्क की कोई विधिवत डिग्री है, न ही इसका कोई अनुभव।
वह बताते हैं कि हद तो यहां तक हो गई है कि कुछ रेलों में जो प्रमोटी सीपीआरओ के रूप में काम कर रहे हैं, वह जनसंपर्क अधिकारियों के सामने इंस्पेक्टर हुआ करते थे, वे दूसरे विभागों में जेए ग्रेड पाकर दूसरे दरवाजे से आकर यहां सीपीआरओ बन गए हैं और विभाग के सिर पर बैठ गए हैं। फिलहाल पूर्व रेलवे, दक्षिण पूर्व रेलवे और मेट्रो रेल, कोलकाता में ऐसे ही अधिकारी सीपीआरओ बनकर बैठे हुए हैं। कुछ दिन पहले तक मध्य रेलवे और दक्षिण रेलवे में भी ऐसा ही हाल था।
उन्होंने कहा कि “रेलवे में पीआर कैडर को देखने वाला कोई माई-बाप नहीं है, जबकि दूसरे संगठनों में लोग जनसंपर्क विभाग में जीएम तक बड़ी आसानी से बन जाते हैं। क्या दुर्भाग्य है…”
उनका कहना है कि “मंत्री जी आठ डिपार्टमेंट का मर्जर करा सकते हैं, जिसका अभी तक न तो सिर का पता है, न ही पांव का, पर अपने ही मंत्रालय के मात्र एक विभाग, वह भी बहुत महत्वपूर्ण जनसंपर्क विभाग का, न तो ट्रैफिक में मर्जर करवा सके, न ही कुछ न्याय करवा पा रहे हैं। प्रमोटी फेडरेशन का एक अदना सा एडवाइजर उन पर भारी पड़ गया। बेचारे मंत्री जी उसके सामने इतने कमजोर और असहाय होंगे, ये तो हम लोगों को मालूम ही नहीं था।”
उन्होंने कहा कि “हम लोगों के लिए अब यह एक कैरियर में प्रमोशन के बजाय एक बड़ी सामाजिक समस्या बन गया है। लोग पूछते हैं कि आप लोगों का प्रमोशन क्यों नहीं होता है, बाबूओं का भी हो जाता है, वह भी डिप्टी और ज्वाइंट सेक्रेटरी तक बन जाते हैं, पर आप लोग क्यों नहीं बन पाते? उन्हें कोई जवाब देते नहीं बनता!”
This is nothing but execution of calculated agenda being followed by the #Minister & #CRB to present facts in front of public distorting definitions of acts, laws & manuals of #Railways for trumpeting untruthful success stories themselves hiding realistic facts laying behind it ! pic.twitter.com/PQ6CzUvmgp
— kanafoosi.com (@kanafoosi) August 22, 2020