उत्तर रेलवे केंद्रीय अस्पताल में जारी कमीशनखोरी का खेल?
वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के दुष्प्रभाव के बीच भारत में भी इसके मरीजों की संख्या दो लाख पार कर चुकी है। जहां तक भारतीय रेल की बात है तो यहां भी उच्च प्रबंधन की उदासीनता अथवा लापरवाही के चलते सभी जोनल रेलों में कोविद केस लगातार बढ़ रहे हैं। इससे प्रभावित कई कर्मचारी मौत के मुंह में जा चुके हैं।
अब जहां तक रेलवे में वीवीआईपी अस्पताल का दर्जा प्राप्त उत्तर रेलवे केंद्रीय अस्पताल (एनआरसीएच) की बात है, तो इसमें भी 200 बेड का कोविद विभाग मुख्यत कोरोना संक्रमित रेलकर्मियों के लिए बनाया गया है। यहां भी हर दिन मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है।
देश की राजधानी दिल्ली में भी हालत काफी गंभीर है। यहां कोरोना के मरीजों को दिल्ली सरकार के अस्पतालों तथा केंद्र सरकार के मुख्य हॉस्पिटल में भर्ती किया जा रहा है तथा उनको सारी सुविधाएं निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही हैं। लैब में उनके कोरोना के टेस्ट भी निःशुल्क किए जा रहे हैं।
जबकि नई दिल्ली स्थित उत्तर रेलवे केंद्रीय अस्पताल की ओपीडी में आने वाले और वार्ड में भर्ती होने वाले सभी मरीजों की जांच बाहर निजी लाल लैब और ऑन किस्ट लैब में ₹4500 का भुगतान करके करवाई जा रही हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने भी कोरोना टेस्टिंग निःशुल्क (फ्री ऑफ कॉस्ट) करने का आदेश दिया है। सभी सरकारी अस्पताल इसकी निःशुल्क (मुफ्त) जांच कर भी रहे हैं।
हालांकि उत्तर रेलवे केंद्रीय अस्पताल की लैब भी काफी आधुनिक है और ऐसे सभी टेस्ट यहां बहुत आसानी से और बहुत कम खर्च पर हो सकते हैं, मगर यह सारे टेस्ट बाहर प्राइवेट लैब्स से सरकार द्वारा निर्धारित ₹3500 के बजाय ₹4500 देकर कराए जा रहे हैं, जबकि यहां के लैब टेक्नीशियन खाली बैठकर मुफ्त का सरकारी वेतन और सुविधाएं हजम कर रहे हैं। इस तरह सारे टेस्ट बाहर से करवाकर रेलवे को हर दिन लाखों रुपये का चूना लगाया जा रहा है।
सुनने में यह भी आया है कि हॉस्पिटल के मुखिया सहित कई अन्य डॉक्टरों और प्राइवेट लैब्स के बीच मजबूत सांठगांठ है जिसके तहत कमीशनबाजी का खेल जोरों पर चल रहा है।
बताते हैं कि उत्तर रेलवे के इस प्रमुख अस्पताल में पहले भी रेलवे को लाखों रुपये का नुकसान पहुचाया जाता रहा है, क्योंकि यहां पर सारी सुविधा होने के नाम पर ढ़ेर सारी जांचें बाहर से करवाई जाती रही हैं।
अब इस महामारी में भी अपनी खुद की सक्षम लैब होने के बावजूद ₹4500 प्रति टेस्ट का भुगतान करके रेलवे को आर्थिक नुकसान पहुचाया जा रहा है। एक तरफ लैब टेक्नीशियनों को भारी भरकम वेतन-भत्ते देकर तथा दूसरी तरफ प्राइवेट लैब्स को पेमेंट करके रेलवे को भारी आर्थिक नुक्सान पहुंचाया जा रहा है। अतः इसमें तो कोई शक ही नहीं रह जाता है कि यहां कमीशनबाजी का खेल चल रहा है।
Also Read: लापरवाह एएनओ के कुप्रबंधन से एनआरसीएच की कई नर्सें हुईं कोरोना संक्रमित
Dr M B Shankhwar, CMD/NRCH was not given extension as he was expected and propagated. On 5th June, he has been downgraded as consultant only. Just think about, just one day before all Doctors were working under him, now he will work under his juniors. This is the irony of luck. Now the post of CMD/NRCH is downgraded and Dr S C khorwal has been promoted as MD/NRCH. Dr O P Anand has been transferred to HQ as CHD.