रेल अधिकारी अपनी कुलबुलाहट को नियंत्रित रखकर सिर्फ पीएमओ के आदेशों का पालन करेंगे तो देश का ज्यादा भला होगा!
सीआरबी को अपने ‘क्रिटिकल उद्देश्य’ की पूर्ति के लिए पीएफटी, सीटीओ/एसीटीओ को काम पर लगाना चाहिए !!
“Railway is doing again the same blunder which it has done by running several special trains from Mumbai”
शुक्रवार, 28 मार्च को चेयरमैन, रेलवे बोर्ड श्रीमान विनोद कुमार यादव ने सभी जोनल रेलों के जनरल मैनेजर्स को लिखित मोबाइल संदेश भेजकर कथित क्रिटिकल आइटम्स की ढुलाई शुरू करने की ‘एडवाइस’ दी है। हालांकि ये कौन से क्रिटिकल आइटम हैं, इनकी परिभाषा सीआरबी महोदय ने स्पष्ट नहीं की है। यह संदेश एक उच्च स्तरीय रेल अधिकारी से ‘रेलसमाचार’ को प्राप्त हुआ है। यहां ज्यों का त्यों प्रस्तुत है ‘सुज्ञान’ सीआरबी महोदय का वह संदेश:
Dear GMs
Good Evening. Let me compliment every one. We are doing very good. I will like to make a request to all of you on a very important issue in present context. Transportation of critical items, many of these in small parcel sizes, is going to be very important in the next few days to mitigate the effects of the lockdown. With VPs, SLRs, locomotives and paths available, GMs may explore running timetabled parcel trains on identified routes. Railways may announce their planning and seek prospective customers through suitable notification to assess demand and start such services. Feedback on the action taken may be advised. AM/Commercial and PED/chg will coordinate from the Board.
Regards
Vinod
सीआरबी महोदय जिस तरह अपने संदेश में खाली पड़ी वीपी, एसएलआर, लोकोमोटिव और रेलवे पाथ की उपलब्धता का उल्लेख कर रहे हैं, उससे जाहिर है कि वह इन सबकी इफरात उपलब्धता का उपयोग करके छूत की महामारी की गंभीरतम स्थिति में भी कुछ अतिरिक्त लाभ कमा लेने का लोभ संवरण नहीं कर पा रहे हैं। परंतु उनकी इस अनुभवहीनता या बनियागीरी अथवा बनिया-नीति का खामियाजा देश को और रेलकर्मियों को जिस बड़े पैमाने पर भुगतना पड़ सकता है, रेलवे की इस अतिरिक्त कमाई के लालच में उन्हें शायद इस बात का कोई अंदाजा नहीं है।
रेलवे के गहन अनुभवी और जानकारों का मानना है कि “ऐसे गंभीर समय में कुछ अति उत्साही अफसरों से उनका विनम्र आग्रह है कि वे अपने अंदर कुलबुलाते कीड़ों को कुछ दिन शांत रखें तथा इस तरह के बचकाने आइडिया, सुझाव और आदेश देने से बचें, नहीं तो अभी-अभी उनके मुंबई से स्पेशल चलाने की होशियारी दिखाए जाने से आने वाली तबाही से उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल आदि के लोग अगर बच जाएं, तो फिर यह पलीता भी लगा देना, लेकिन भगवान के लिए आप अपने घर पर, अपने अंदर बैठे जन्मजात कीड़े के साथ, कुछ दिन शांति से बैठे रहेंगे, तो उससे देश का ज्यादा भला होगा।”
इसके साथ ही उनका यह भी कहना था कि “यदि सीआरबी को कथित क्रिटिकल आइटम्स की ढुलाई ही करनी है, तो यह एकदम सही समय है, जब इसके लिए प्राइवेट फ्रेट टर्मिनल्स (पीएफटी), सीटीओ, एसीटीओ को काम पर लगाया जाए।” उनका कहना है कि कम से कम इसी बहाने सरकार को ये तो पता चल जाए कि सरकारी गतिविधियों का निजीकरण उर्फ प्रावेटाइजेशन कितना सही है और राष्ट्र की विषम परिस्थितियों में ये कितना सक्रिय योगदान दे रहें हैं या दे सकते हैं।
A retired COM and a CCM, when asked their opinion on this subject, openly said, “PFTs & CTOs are well equipped or they can develop methodology in no time to carry the essential consignment with minimum risk of spreading”.
“It will not augur well if it is done by Rly parcel. It will create more problem than the solution. It will make the station crowded place and deployment of staffs will be needed as per the activity. Moreover package will be potential career to spread the pandemic making railway station an epicenter for this. And again railway is doing the same blunder which it has done by running several special trains from Mumbai and other Cities”, they said.
https://twitter.com/kanafoosi/status/1243888390707142658?s=19
उन्होंने कहा कि “इसके अलावा यह भी देखने में आया है कि कई जगह पर सैनिटाइजर के नाम पर स्पिरिट और अल्कोहल का धंधा शुरू हो गया है। इनकी कालाबाजारी को कई शहरों में पुलिस ने उजागर किया है। ऐसी गंभीर स्थिति में रेलवे में हर पार्सल पैकेट को खोलकर यह कौन सुनिश्चित करेगा कि उसमें सिर्फ ‘क्रिटिकल आइटम’ ही भेजा जा रहा है और वही चीज जा रही है, जो पार्टी ने डिक्लेयर किया है।”
उन्होंने स्पष्ट कहा कि सीआरबी की उक्त अनुभवहीन ‘एडवाइस’ प्रधानमंत्री के लॉकडाउन को धता बताने वाली है। उन्होंने रेल मंत्रालय से यह अनुरोध भी किया है कि “#कोविद-19 से संबंधित किसी भी मामले में अपने से कोई पहल न करे और न कोई सुझाव दे। पीएमओ पर सबको भरोसा है, क्योंकि वहां पर स्थितियों के आकलन के आधार पर जिस मंत्रालय को जैसा निर्देश देना है, वैसा देने पर ही कोई कार्यवाही करें, अन्यथा फिर से समझ लें कि रेलवे के बचकाने निर्णयों से जो नुकसान होगा, उसकी भरपाई कोई नहीं कर पाएगा और तब स्थितियां किसी के संभालने मान की भी नहीं रहेंगी!”
एक रिटायर्ड एडीशनल मेंबर/कमर्शियल का कहना है कि “जब गुड्स ट्रेनें चल रही हैं, और अत्यावश्यक जिन्सों की ढुलाई तत्परता से की जा रही है, तब इस तरह की भयावह परिस्थिति में पार्सल ट्रैफिक को खोलने के इस तरह के आदेश का कोई औचित्य ही नहीं बनता है। यह आत्मघाती और जानलेवा साबित होगा।” उनका यह भी कहना था कि पीएमओ को सीआरबी की इस आदेश का तुरंत संज्ञान लेकर आवश्यक कदम उठाना चाहिए, क्योंकि यदि इस पर अमल हुआ तो महामारी को और ज्यादा फैलने से रोक पाना काफी मुश्किल हो जाएगा।
जानकारों का मानना है कि अभी ये 10-15 दिन काफी क्रिटिकल हैं। इस दौरान लोग जितना ज्यादा समय घर में रहेंगे, उतना ही वे न सिर्फ सुरक्षित बचेंगे, बल्कि देश का भी बहुत भला करेंगे, लेकिन इसी दौरान रेलवे अपनी अनावश्यक गतिविधियों से पैनिक क्रिएट कर रही है।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पता चला है दक्षिण रेलवे से एक पीसीईटी चलाई जा रही है, जिसमें क्रिटिकल आइटम नहीं, बल्कि बीज की लोडिंग होगी और जिसकी जरूरत फिलहाल तो बिल्कुल भी नहीं है और जब भी होगी, वह मई-जून के बाद ही होगी।
तथापि जिस राज्य को यह बीज भेजा जा रहा है, उस राज्य ने यदि इसे क्रिटिकल माना होता, तो वह भारत सरकार से आग्रह करता, तब सरकार उसके लिए रेल चलाती, तो यह समझ में आने वाली बात होती। लेकिन इसका फायदा कुछ शातिर बिजनेस घराने उठाने की कोशिश में लग गए हैं। अनुभवी जानकारों का मानना है कि पैसा कमाना भी रेलवे के लिए जरूरी है, परंतु ऐसे समय में नहीं, जब एक छूत की महामारी के चलते देश में युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए हैं, यह बात उन व्यापारियों को भी समझना चाहिए, जिनकी बदौलत सीआरबी की यह एडवाइस सामने आई है।
इस बीज वाली पीसीईटी को चलाने के निर्णय पर कोई यह पूछने वाला नहीं है कि इस समय जब मजदूर और ट्रक उपलब्ध ही नहीं हैं, तब कितने दिनों तक पार्टी रेक खाली करने के नाम पर स्टेशन या गुड्स शेड में लाइन और जगह घेर करके रखेगी? जबकि मात्र गुड्स ट्रेनों के संचालन में भी लाइन पर भारी कंजेशन की दुहाई देकर जोनल रेलों द्वारा मंगाए जा रहे खाली रेक हफ्ते भर में भी उनके गंतव्य पर नहीं पहुंचाए जा पा रहे हैं।
अभी तो स्ट्रेटेजी यह होनी चाहिए कि रेलवे के पार्सल स्पेस और स्टॉक खाली रहें, क्योंकि अगर अगले हफ्ते से हालात ज्यादा बिगड़ने शुरू होते हैं, तब सरकार को तुरंत हर जगह क्रिटिकल और एसेंसियल आइटम की सप्लाई शुरू करने की जरूरत पड़ेगी और जब इस सबके लिए स्टेशनों एवं टर्मिनल्स पर पर्याप्त जगह ही उपलब्ध नहीं होगी, तब क्या किया जाएगा?
वैसे भी आवश्यक गुड्स में केवल क्रिटिकल एवं एसेंसियल आइटम्स की ही लोडिंग और सप्लाई की अनुमति दी जानी चाहिए थी, जैसे कोयला, खाद्यान्न और खानपान संबंधी सामग्री तथा मेडिकल इक्विपमेंट्स एवं दवाईयां इत्यादि।
परंतु प्रत्यक्ष देखने में यह आ रहा है कि इसमें सीमेंट, स्टील, खाद आदि जैसे नॉन-क्रिटिकल आइटम्स की लोडिंग भी शुरू कर दी गई, जबकि वर्तमान स्थिति में ऐसी सभी गैर-जरूरी (नॉन-क्रिटिकल/नॉन-एसेंसियल) वस्तुओं की ढुलाई पर रोक लगा दी जानी चाहिए थी, क्योंकि अब अधिकांश टर्मिनल और गुड्स शेड को ये लोग घेर कर खड़े हो रहे हैं और इनके चलते रेलवे इस गंभीर स्थिति में बुरी तरह और भारी मुसीबत में फंसने के हालात खुद पैदा करने जा रही है।
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