सोलापुर आरपीएफ का एक और कारनामा: निर्दोष यात्री को पकड़कर लूटा

सभी संबंधित अधिकारियों ने लिखित शिकायत के बावजूद अब तक कोई संज्ञान नहीं लिया

सवाल: आईपीएफ एवं संबंधित आरपीएफ कर्मियों के विरुद्ध तत्काल निलंबन और बर्खास्तगी की कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

सोलापुर आरपीएफ के उल्लेखनीय कारनामे लगातार सामने आ रहे हैं। अब यह जो मामला सामने आया है, वह और ज्यादा गंभीर है, क्योंकि इसमें एक निर्दोष यात्री, जो कि पूर्व रेल कर्मचारी भी है, को अकारण पकड़कर न सिर्फ ३६-४० घंटे तक सोलापुर से कलबुर्गी तक प्रताड़ित किया गया, बल्कि उसे रात भर लॉक अप में बंद रखकर गंदी-गंदी गालियां दी गईं और उसके पास से पांच हजार तीन सौ सात रुपए भी लूट लिए गए। ऐसी अन्यायपूर्ण और गैरकाननी गतिविधियाँ अक्सर यहां आईपीएफ/सोलापुर के कार्यक्षेत्र में घटित हो रही हैं, तथापि रेल प्रशासन को इसकी कोई परवाह है, ऐसा कम से कम उसके आचरण से तो नहीं लगता है।

यह घटना काजल नगर, होटगी रोड, सोलापुर निवासी महबूब सलीम पठान, जो कि पहले सोलापुर मंडल, मध्य रेलवे के सिग्नल एवं दूरसंचार विभाग का कर्मचारी भी रह चुका है, के साथ २३/२४ फरवरी की दरम्यानी रात को १ बजे तब घटित हुई, जब वह बकायदा रेल टिकट लेकर सोलापुर से कलबुर्गी जा रहा था। ‘रेलसमाचार’ को ईमेल पर सभी संबंधित अधिकारियों को भेजी गई अपनी लिखित शिकायतें, एफआईआर इत्यादि सहित समस्त जानकारी भेजकर बाद में मोबाइल पर बात करके पठान ने बताया कि वह २३ फरवरी की रात को ट्रेन सं १६३८१, कन्याकुमारी एक्सप्रेस से कलबुर्गी जाने के लिए निकला था, तभी उसे आरपीएफ वालों ने अकारण पकड़कर लॉक अप में बंद कर दिया।

पठान के बताए अनुसार जब वह प्लेटफार्म सं १ से टिकट लेकर प्लेटफार्म सं ३ की तरफ ट्रेन पकड़ने जा रहा था, तभी आरपीएफ के चार लोगों ने उसे रोककर पूछा कि कहां जा रहे हो। इस पर उसने उन्हें अपने गंतव्य के बारे में बताया और अपना टिकट भी उन्हें दिखाया। फिर भी वह लोग उसे आरपीएफ ऑफिस में ले गए और लॉक अप में बंद कर दिया, जबकि उसने कोई गलती भी नहीं की थी। उसके पूछने पर भी उन लोगों ने उसका अपराध नहीं बताया तथा कोई उसकी बात सुनने को भी तैयार नहीं था।

उसने बताया कि २४ फरवरी को सुबह करीब ६.२० बजे लॉक अप से निकालकर उसके पास से उसका मोबाइल, एटीएम कार्ड, उसके स्कूटर की चाबी, रेलवे टिकट और ५३०७ रुपए नकद उससे छीन लिया गया। इसके बाद अपराधियों वाली स्लेट पकड़ाकर उसकी फोटो भी निकाली गई। तत्पश्चात दोपहर को करीब १२ बजे गाड़ी सं ११०१३ से उसे लेकर कलबुर्गी गए और वहां जीआरपी को सौंप दिया। उसने बताया कि जीआरपी लॉक अप में वह बेहोश हो गया था, क्योंकि उसको लगभग १२-१४ घंटे से खाने के लिए कुछ भी नहीं दिया गया था।

पठान ने बताया कि उसे बेहोशी की हालत में जीआरपी वालों ने कलबुर्गी के सिविल हॉस्पिटल में ले जाकर भर्ती किया। इसका पता उसे होश आने पर हॉस्पिटल में चला। पठान का कहना था कि सूचना मिलने पर जब उसके परिजन आए, तब अगले दिन जीआरपी कलबुर्गी ने उसे जमानत पर छोड़ा, मगर अन्य सामान के साथ उसके नकद ५३०७ रुपए और उसका रेल टिकट नहीं लौटाया। इसके पहले उन्होंने उसकी माँ और भाई से कुछ सादे पेपर्स पर उनके हस्ताक्षर करा लिए थे।

भुक्तभोगी महबूब पठान ने बताया कि जमानत पर छूटने के बाद उसने डीएससी/सोलापुर और मंडल रेल प्रबंधक/सोलापुर को इस घटना की विस्तृत जानकारी दी और कार्रवाई करने की मांग भी की। इसके पहले उसने कलबुर्गी से लौटने के तत्काल बाद २५ फरवरी को सदर बाजार पुलिस स्टेशन, सोलापुर में उक्त चारों आरपीएफ वालों के विरुद्ध एफआईआर (सं १९४१००१६०७२०००००४) दर्ज करवा दी थी और ट्विटर के माध्यम से संबंधित सभी अधिकारियों को अवगत करा दिया था।

देखें और सुनें महबूब पठान की जुबानी उसकी आपबीती कहानी-

https://youtu.be/-ko6kUFgcE0

बहरहाल, उपरोक्त घटना को घटित हुए लगभग एक महीना होने जा रहा है, परंतु अब तक किसी भी अधिकारी ने इसका न तो संज्ञान लिया है और न ही कोई उचित कार्रवाई की गई है। जबकि लिखित शिकायत में आरोपी आरपीएफ वालों के नाम भी बताए गए हैं। उल्लेखनीय है कि उक्त चारों आरोपी आरपीएफ कर्मियों में कांस्टेबल कुंदन सिंह, कांस्टेबल सचिन शिंदे, कांस्टेबल दत्ता कचरे और कांस्टेबल राजकुमार उरांव शामिल हैं। यह चारों भ्रष्ट आरपीएफ कर्मी, महाभ्रष्ट आईपीएफ/सोलापुर राकेश कुमार सिंह के ‘स्पेशल’ वाले बताए गए हैं।

डीजी/आरपीएफ अरुण कुमार और पीसीएससी/मध्य रेलवे अतुल पाठक चाहे जितनी कोशिश कर रहे हों इन भ्रष्टों और महाभ्रष्टों को सुधारने की, मगर वह अपनी इन कोशिशों में कम से कम अब तक कामयाब नहीं हो पाए हैं। सवाल यह है कि यदि आरपीएफ पोस्टें ‘अलॉट’ नहीं हो रही हैं, तो आरपीएफ निरीक्षकों में इस कदर भ्रष्टाचरण पैदा कैसे हुआ?

दूसरा सवाल यह उठाया जा रहा है कि इतनी बड़ी घटना को खुलेआम अंजाम दिया गया, तथापि सारे प्रत्यक्ष सबूत उपलब्ध होने के बावजूद अब तक उक्त चारों दोषी आरपीएफ कर्मियों के खिलाफ तत्काल निलंबन और बर्खास्तगी की आवश्यक कार्रवाई क्यों नहीं की गई? उच्च आरपीएफ प्रशासन की इस शिथिलता को क्यों न संबंधित आरपीएफ कर्मियों और आईपीएफ/सोलापुर का फेवर माना जाए?

फोटो परिचय: आईपीएफ/सोलापुर एवं उसके ‘पालतू जीरो पुलिस’ तथा ‘स्पेशल’ वालों के संरक्षण में सोलापुर रेलवे स्टेशन पर अवैध हाकर। रेलमंत्री और डीजी/आरपीएफ के ‘हाकर मुक्त रेलवे’ के दावे को मुंह चिढ़ाते हुए अवैध खाद्य पदार्थ विक्रेता सिर्फ सोलापुर में ही नहीं, बल्कि भारतीय रेल के किसी भी स्टेशन पर खुलेआम अपना धंधा करते हुए देखे जा सकते हैं।