रेलवे बोर्ड के मैकेनिकल और एकाउंट्स अफसरों द्वारा कारखानों के खर्चों की अनर्गल बुकिंग करने का दबाव

Note: This is a whistle blower account which we confirmed from multiple sources. We welcome counter view of those who are named and assure them of space to give their point of view. Further we request Minister and CRB to investigate the claims made by the whistle blower which have been found true by several serving railway officers!

रेलवे बोर्ड स्तर पर यह जो कुछ भी जोड़-तोड़ या मनमानी चल रही है, यह बोर्ड मेंबर्स और सीआरबी की जानकारी के बिना तो संभव नहीं हो सकती! अर्थात् ऑपरेटिंग रेशियो को मैनिपुलेट करने और एक्सपेंडीचर प्लान हेड्स बदलने में इन सबकी मूक-सहमति होती है!
रेलवे बोर्ड के अधिकारियों को वीसी की बहुत बुरी लत लग गई है। पहले केवल सीआरबी ही करते थे, फिर बोर्ड मेंबर करने लगे। फिर एडीशनल मेंबर भी करने लगे, और अब तो पीईडी, ईडी और डायरेक्टर जैसे कुएँ के मेंढ़क भी वीसी के जरिए जोनल/डिवीजनल अधिकारियों पर अपना रौब झाड़ने लगे हैं!

सुरेश त्रिपाठी

रेल भवन स्थित हमारे भरोसेमंद सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रेलवे बोर्ड के #EDME(PU&W), #EDF(S), #DF(S) द्वारा सभी #CWM और #WAO को कई वीसी मीटिंग में मौखिक निर्देश देकर दबाव बनाया जा रहा है कि पीरियोडिकल ओवर हॉलिंग (#POH) के रेवेन्यू के खर्चे को कैपिटल रोलिंग स्टॉक प्रोग्राम (#RSP) में शिफ्ट करें, ताकि रेवेन्यू के खर्चे को कम दिखाकर और ऑपरेटिंग रेशियो को सही रखकर मंत्री महोदय से अपनी पीठ थपथपवाई जा सके।

सूत्रों का कहना है कि इस बात की पुष्टि जोनों/डिवीजनों के कारखानों को जनवरी में आवंटित रिवाइज बजट से की जा सकती है। उनका यह भी कहना है कि रेलवे बोर्ड के अधिकारियों को वीसी की बहुत बुरी लत लग गई है। पहले केवल सीआरबी ही वीसी करते थे, फिर बोर्ड मेंबर करने लगे। फिर एडीशनल मेंबर भी करने लगे, और अब तो पीईडी, ईडी और डायरेक्टर जैसे छुटभैये भी वीसी के जरिए जोनल/डिवीजनल अधिकारियों पर अपना रौब झाड़ने लगे हैं।

सूत्रों ने बताया कि कारखानों को मौखिक निर्देश दिए गए हैं कि जनवरी के महीने से अपना पीओएच का खर्चा WMS Suspense में रखें और उसे एक नई RSP में बुक किया जाए, और अब कहा जा है कि उसे RSP Pink Book item no. 743/2024-25, 752/2024-25 और 323/2024-25 में बुक करें, जो कि POH का समय कम करने से संबंधित है, न कि रेगुलर POH में लगने वाले माल के लिए है।

सूत्रों ने बताया कि यहाँ तक कि कई कारखानों में इन RSP में परचेज ऑर्डर (#PO) और लेटर ऑफ एक्सेप्टेंस (#LOA) भी जारी हो चुके हैं और अब उनमें मटीरियल बुक करने को कहा जा रहा है, जो कि वित्तीय नियमों अनुसार नहीं है।

जानकारों का कहना है कि रेलवे में ऑपरेटिंग अनुपात के प्रबंधन में मैच फिक्सिंग जैसा खेल किया जाता है, यहां रेलवे का एकाउंट्स विभाग परिदृश्य में आता है। वे वित्तीय वर्ष के पहले 11 महीने कुछ भी नहीं करते हैं, बस अंडे देते हैं और उन्हें सेते रहते हैं। अचानक मार्च के महीने में वे नींद से उठते हैं, और ऑपरेटिंग अनुपात के प्रबंधन के नाम पर ब्यूरोक्रेट मंत्री को ब्यूरोक्रेसी के तरीके से दिग्भ्रमित करने में लग जाते हैं।

उन्होंने कहा कि ये लोग मंत्री के सामने केवल आकर्षक पिक्चर प्रस्तुत करने के लिए राजस्व व्यय को पूंजीगत व्यय में स्थानांतरित करने के मैनिपुलेटिव विचारों को जन्म देते हैं। ये सभी निर्देश-मौखिक निर्देश होते हैं-यहाँ लिखित में कुछ नहीं होता है, और जोनल रेलों को इसे लागू करने के लिए मजबूर किया जाता है।

उन्होंने बताया कि हाल ही में रेलवे बोर्ड के उपरोक्त अफसरों ने एलएचबी कोचों के पीओएच के कार्यों के लिए राजस्व व्यय को रोलिंग स्टॉक प्रोग्राम (#RSP) में बुक करने के लिए निर्देश दिया है। पहले भी, उन्होंने ट्रैक रखरखाव गतिविधियों पर राजस्व व्यय को पूंजीगत ट्रैक कार्य व्यय में स्थानांतरित करने जैसे नियम विरुद्ध विचारों को जन्म दिया था। इसी तरह सिग्नल और दूरसंचार विभाग पर किए गए राजस्व व्यय को संबंधित पूंजीगत व्यय में स्थानांतरित कर दिया गया था।

उनका कहना है कि बोर्ड के ये उपरोक्त बोर्ड अफसर खर्च की बुकिंग के लिए सभी राजस्व शीर्ष (रेवेन्यू हेड) को ब्लॉक करते हैं और कभी-कभी कुछ विशेष ठेकेदारों के एक समूह को शांत करने के लिए खोलते हैं-अपने दिमाग का उपयोग किए बिना, जो आम तौर पर वे पूरे वर्ष करते हैं। हिंदू त्यौहार होली से पहले सभी भुगतानों को रोक देते हैं और जब कुछ हंगामा होता है, तो कुछ बिलों की अनुमति दी जाती है-वह भी होली के बाद, और फिर से ब्लॉक कर दिया जाता है-जब ईद आने वाली होती है। यह विचारहीनता, दिशाहीनता और उदासीनता या मूर्खता की हद है।

जानकारों का मानना है कि यह एक बहुत बड़ा घोटाला है। रेलवे बोर्ड का कार्य ही पॉलिसी डिसीजन लेना है, तो क्यों नहीं इस मामले में कोई लिखित स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए जाते हैं, या मिनिट्स ऑफ मीटिंग क्यों नहीं जारी किए जाते?

जानकारों का यह भी मानना है कि रेलवे बोर्ड स्तर पर यह जो कुछ भी जोड़-तोड़ या मनमानी चल रही है, यह बोर्ड मेंबर्स और सीआरबी की जानकारी के बिना तो संभव नहीं हो सकती है। अर्थात् ऑपरेटिंग रेशियो को मैनिपुलेट करने और एक्सपेंडीचर प्लान हेड्स बदलने में इन सबकी मूक-सहमति होती है! जो कि वित्तीय नीति-नियमों के विपरीत है।

इस महत्वपूर्ण और अत्यंत संवेदनशील विषय पर #Railwhispers ने कल सोमवार, 24 मार्च 2025 को रेलवे बोर्ड को अपना पक्ष रखने के लिए एक्स पर एक सीमित पोस्ट के माध्यम से सूचित किया था, तथापि बोर्ड की तरफ से इस पर न तो कोई प्रतिक्रिया व्यक्त की गई, और न ही अपना पक्ष रखा गया।

इसके अलावा बोर्ड द्वारा विगत 8-10 महीनों में जो भी पॉलिसीगत निर्णय लिए गए हैं-फिर वे चाहे चार हजार आईसीएफ कोचों का टॉयलेट अपग्रेडेशन RSP (Ltr. No. 2022/EDME (EnHM & Projects)/Misc.12, dtd. 25.11.2024) हो, चाहे OEM फेवर्ड पॉवर कारों के रखरखाव या मैनिंग पॉलिसी (2006/Elect(G)/138/1pt, dtd. 14.05.2024, 16.07.2024, 19.11.2024) हो-ऐसी विभिन्न पॉलिसीज में यह देखा गया है कि फाइनेंस की वेटिंग नहीं होती है। यह भी नियम विरुद्ध है। स्पष्ट है कि सारी नियोजित प्रक्रिया को एड-हॉक के तौर पर उपयोग किया जा रहा है, जो कि व्यवस्था के हित में नहीं है।

माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि वे अपने इन दिशाहीन अधिकारियों-जो कि उनकी छवि धूमिल करने पर उतारू हैं-को निर्देशित करें कि कोई भी वीसी मीटिंग के इंस्ट्रक्शन लिखित में मिनिट्स ऑफ मीटिंग के रूप में जारी किए बिना लागू न किए जाएँ, ताकि कर्मचारी/अधिकारी ऑडिट एवं विजिलेंस जाँच में न फँसें। क्रमशः…