नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ के असली अपराधी?

Note: This is a whistle blower account which we confirmed from multiple sources. We welcome counter view of those who are named and assure them of space to give their point of view. Further we request Minister and CRB to investigate the claims made by the whistle blower which have been found true by several serving railway officers!

शनिवार, 15 फरवरी, 2025 को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ के मामले में गोपनीय जानकारी उजागर हुई है। यदि इसे तत्काल संज्ञान में लिया जाता तो भगदड़ जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटित ही नहीं हुई होती।

उत्तर रेलवे, दिल्ली मंडल के कमर्शियल विभाग ने एक कंट्रोल मैसेज के जरिए ऑपरेटिंग विभाग से तीन अनारक्षित गाड़ियाँ 17.00 बजे, 19.00 बजे और 21.00 बजे नई दिल्ली स्टेशन से प्रयागराज के लिए चलाए जाने की मांग की थी।

इसके लिए डिमांड कमर्शियल कंट्रोल मैसेज नं. 958/cc/DLI/2025 Sr.DCM/Chg दिल्ली द्वारा 15 फरवरी, 2025 को सुबह 09.50 बजे ही भेज दी गई थी।

कंट्रोल मैसेज-तीन गाड़ियों की डिमांड का प्रमाण

लेकिन 15 फरवरी, 2025 को ऑपरेटिंग विभाग ने घटना घटित होने के समय तक केवल एक रेक ही कुंभ मेला स्पेशल चलाए जाने के लिए उपलब्ध कराया। यदि यह तीन रेक उपलब्ध कराए जाते और डिमांड के अनुसार हर दो घंटे में तीनों अनारक्षित कुंभ मेला स्पेशल चला दी जातीं, तो सारी भीड़ क्लीयर हो जाती और भगदड़ की संभावना ही नहीं रहती, क्योंकि सारी भीड़ उक्त तीनों रेक से निकल जाती।

लेकिन सीनियर डीओएम/दिल्ली मंडल, दिवाकर झा के प्रभाव के चलते कमर्शियल विभाग की उपरोक्त डिमांड को कोई तवज्जो नहीं दी गई।

बताते हैं कि सीनियर डीओएम दिवाकर झा रेलवे बोर्ड में रहकर आए हैं और सीनियर डीसीएम/पीएस आनंद मोहन उनसे जूनियर थे, इसलिए भी दिवाकर झा ने आनंद मोहन की इस डिमांड से पर्दा नहीं उठने दिया।

जानकारों का मानना है कि यदि गाड़ियाँ उपलब्ध नहीं कराई गईं और प्लेटफार्म पर भीड़ बढ़ रही थी, तो भीड़ को रोकने/नियंत्रित करने अर्थात क्राउड मैनेजमेंट का काम मुख्यतः #RPF का होता है, क्योंकि पुलिस की वर्दी वाले कर्मचारियों से ही पब्लिक को रोका जा सकता है, सादा वर्दी वाले कर्मचारियों से नहीं।

लेकिन यह रहस्य का विषय है कि आखिर किसके दबाब के चलते RPF के किसी बड़े अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई है। केवल एक ASC/RPF को ट्रांसफर कर फाइल को बंद करने की कोशिश की जा रही है। वैसे भी ASC/RPF सैनी पिछले 5-6 सालों से नई दिल्ली में ही थे, तो उनका ट्रांसफर तो होना ही था।

लेकिन जहाँ एक ओर #DRM और #ADRM जैसे अधिकारियों को ट्रांसफर कर दिया गया, वहीं #RPF में मात्र एक #ASC को ट्रांसफर करके अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली गई। यहाँ तक कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के उस आरपीएफ इंस्पेक्टर/इंचार्ज को भी नहीं हटाया गया, जिसकी फर्जी रिपोर्ट का खंडन रेल मंत्रालय को करना पड़ा था।

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ के मामले में मुख्य रूप से ऑपरेटिंग विभाग और RPF जिम्मेदार है, लेकिन रेलवे बोर्ड के दबाव के चलते उच्च अधिकारियों द्वारा इन दोनों विभागों के अधिकारियों को बचाया जा रहा है और पूरे मामले पर लीपापोती की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि गाड़ियाँ चलाने और अतिरिक्त रेक उपलब्ध कराने का दायित्व/निर्णय संबंधित जोनल मुख्यालय (ऑपरेटिंग विभाग) का होता है। यह निर्णय डिवीजन स्तर पर नहीं लिया जाता। जानकारों का कहना है कि यदि सीनियर डीओएम ने कमर्शियल कंट्रोल के उक्त मैसेज को तत्काल मुख्यालय के संज्ञान में लाकर उचित कदम उठाया होता, तो भगदड़ में 18 निर्दोष लोगों की जान नहीं जाती। उनका कहना है कि इस मामले में मुख्यतः जिम्मेदार उत्तर रेलवे मुख्यालय, बड़ौदा हाउस स्थित ऑपरेटिंग विभाग है।