गाजियाबाद-दीनदयाल उपाध्याय सेक्शन का ऑटोमेटिक सिग्नलिंग कार्य संपन्न

गाजियाबाद-दीनदयाल उपाध्याय सेक्शन बना भारतीय रेल के मुख्य मार्ग का सबसे लंबा – 756 किमी – ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सेक्शन

प्रयागराज ब्यूरो: भारतीय रेल नेटवर्क दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है। ट्रेनों को समय पर और सुरक्षित तरीके से चलाने के लिए भारतीय रेल समय-समय पर आधुनिक तकनीक के उपयोग से तकनीकी बदलाव करती रहती है। आधुनिक तकनीक के उपयोग के संबंध में, सिग्नलिंग प्रणाली के आधुनिक स्वचालन यानि स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली का उद्देश्य भारतीय रेल के व्यस्त नेटवर्क या उच्च घनत्व वाले मार्गों में मानवीय त्रुटि को कम करने और लाइन क्षमता को बढ़ाने के लिए ट्रेन संचालन में सुरक्षा और दक्षता को बढ़ाना है।

संचालन की दक्षता में वृद्धि से यातायात घनत्व में वृद्धि होगी। इसके परिणामस्वरूप लोकोमोटिव और गाड़ियों की आवश्यकताओं की संख्या भी कम होगी। उच्च गति और भारी भार के लिए कर्षण में आधुनिकीकरण कुशल सेवाओं के लिए स्वचालित सिग्नलिंग के उपयोग की गारंटी देता है।

नई दिल्ली-प. दीनदयाल उपाध्याय सेक्शन उत्तर मध्य रेलवे का एक अत्यंत घनत्व वाला सेक्शन है, यह सेक्शन पूर्वी भारत (कोलकाता की ओर) को पश्चिम भारत (नई दिल्ली की ओर) से जोड़ने वाले मुख्य गलियारे पर भी है। 30.12.2022 को सतनरैनी-रसूलाबाद-फैजुल्लाहपुर सेक्शन (16.2 किमी) में स्वचालित सिग्नलिंग की स्थापना के साथ नई दिल्ली-पं. दीनदयाल उपाध्याय खंड (756 किमी) अब पूरी तरह से स्वचालित सिग्नल वाला खंड हो गया है। इससे कुल 892 रूट किमी और 1910 ट्रैक किमी उत्तर मध्य रेलवे पर स्वचालित सिग्नलिंग के साथ कमीशन किया गया है जो सभी क्षेत्रीय रेलों में सबसे अधिक है।

विगत 9 माह में 9 ब्लॉक सेक्शन में ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली को स्थापित करने का काम किया गया। मात्र 32 माह में, 163 किमी के प्रयागराज – कानपुर खंड के 24 ब्लॉक सेक्शनों में ऑटोमैटिक सिग्नलिंग स्थापित करके पूरी भारतीय रेल में नया कीर्तिमान स्थापित किया है।

उपर्युक्त दोनों ब्लॉक सेक्शन में प्रत्येक रिले हट में पावर सप्लाई की निर्बाध आपूर्ति के लिए इंटीग्रेटेड पावर सप्लाई सिस्टम लगाया गया है। सिग्नलिंग उपकरणों की विफलता की स्थिति में विफलता के कारणों का पता लगाने में अधिक समय न लगे, इसके लिए सिग्नलिंग उपकरणों के डेटा को विश्लेषित करने के लिए डेटालॉगर स्थापित किया गया है। डेटालॉगर से एंटी-थेफ्ट अलार्म सिस्टम, एंटी सप्लाई मॉनिटरिंग, रिले रूम, डोर मॉनिटरिंग सिस्टम को भी जोड़ा गया है। एकीकृत संचालन हेतु इस डेटालॉगर को प्रयागराज मंडल के सेंट्रल डटलॉगेर सेण्टर के इंटीग्रेटेड किया गया है।

यह उपलब्धि पीसीएसटीई/उ.म.रे. एम. के. बेउरा के मार्गदर्शन और प्रोत्साहन से हासिल हुई है। इस बड़े कीर्तिमान को हासिल करने के लिए दीनदयाल उपाध्याय मंडल और प्रोजेक्ट यूनिट सिग्नल एवं दूरसंचार टीम द्वारा कड़ा प्रयास किया गया।

गाजियाबाद-दीनदयाल उपाध्याय खंड में स्वचालित सिग्नलिंग कमिशनिंग का इतिहास इस तथ्य से देखा जा सकता है कि नैनी-प्रयागराज खंड सन 1973 में सबसे पहले कमीशन किया गया था, इसके बाद सन 1987 में टूंडला-मितावली, फिर सन 1989 में अलीगढ़-दाउदखान और इसी क्रम में सतनरैनी से रसूलाबाद एवं रसूलाबाद से फैजुल्ला स्टेशनों के बीच 16.02 किमी लंबे खंड पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग आधारित ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली की कमिशनिंग के साथ 30.12.22 से पूरे 752 किमी के खंड को स्वचालित सिग्नलिंग के साथ चालू किया गया है। इससे इस खंड में गाड़ियों का समयपालन एवं संरक्षा और बहतर होगी।