अस्वाभाविक निर्णय: एजीएम/पूर्वोत्तर रेलवे के पद पर अदला-बदली

सामान्यतः एजीएम से किसी वरिष्ठ अधिकारी को पुनः उसी पद पर – और वह भी उसी रेलवे में जहां से वह आया हो – रिवर्ट नहीं किया जाता, यह एक तरह से डिमोशन है। एजीएम का पद प्रमोशन न सही, मगर सम्मानजनक पद अवश्य है!

गोरखपुर ब्यूरो: अशोक कुमार मिश्र ने पूर्वोत्तर रेलवे के अपर महाप्रबंधक (एजीएम) का पदभार 10 जून, 2022 को ग्रहण कर लिया। इसके पहले वह पूर्व मध्य रेलवे, हाजीपुर में प्रमुख मुख्य यांत्रिक इंजीनियर (पीसीएमई) के पद पर कार्यरत थे। श्री मिश्र ने 1983 बैच के स्पेशल क्लास रेलवे अप्रेंटिस (एससीआरए) के माध्यम से भारतीय रेल यांत्रिक इंजीनियरिंग सेवा में प्रवेश किया था। उनकी प्रथम नियुक्ति सहायक कारखाना प्रबंधक, दाहोद/प.रे. के पद पर हुई थी। पश्चिम रेलवे, आरडीएसओ, उत्तर रेलवे पर उन्होंने अपने विभिन्न उत्तरदायित्वों का कुशलतापूर्वक निर्वाह किया।

तत्पश्चात् श्री मिश्र ने उत्तर मध्य रेलवे पर मुख्य चल स्टाक इंजीनियर, अपर मंडल रेल प्रबंधक/प्रयागराज, मुख्य मोटिव पावर इंजीनियर/डीजल एवं मंडल रेल प्रबंधक/झांसी जैसे महत्वपूर्ण पदों पर सफलतापूर्वक कार्य किया। अपर मंडल रेल प्रबंधक, प्रयागराज के पद पर रहते हुए रेलमंत्री राजभाषा अवार्ड हासिल किया। मंडल रेल प्रबंधक/झांसी के पद पर रहते हुए झांसी में चौथी लाइन का सर्वे आरम्भ कराया तथा झांसी स्टेशन डेवलपमेंट सहित कई सराहनीय कार्य किए। उन्हें रेल प्रबंधन एवं प्रशासन का गहन अनुभव प्राप्त है।

“हमारा कोई प्रमोशन नहीं हुआ है, फिर फेयरवेल किस बात का!”

उल्लेखनीय है कि अशोक कुमार मिश्र की जगह पीसीएमई/पूर्व मध्य रेलवे, हाजीपुर के पद पर अब तक एजीएम/पूर्वोत्तर रेलवे रहे अमित कुमार अग्रवाल को भेजा गया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि श्री अग्रवाल हाजीपुर से/पीसीएमई पद से ही एजीएम बनकर पूर्वोत्तर रेलवे, गोरखपुर आए थे। अब पुनः उसी पद पर लौटा दिए जाने से बहुत बेआबरू और असहज हो गए हैं। यही कारण रहा कि उन्होंने फेयरवेल लेने से यह कहकर मना कर दिया कि “हमारा कोई प्रमोशन नहीं हुआ है, फिर फेयरवेल किस बात का लें!”

जानकारों का कहना है कि इस एक वाक्य में श्री अग्रवाल ने अपनी पूरी पीड़ा बयान कर दी है। उनका यह भी कहना है कि सामान्यतः एजीएम से किसी वरिष्ठ अधिकारी को इस तरह पुनः उसी पद पर – और वह भी उसी रेलवे में जहां से वह आया हो – रिवर्ट नहीं किया जाता है। यह एक तरह से डिमोशन है। एजीएम का पद प्रमोशन न सही मगर सम्मानजनक पद अवश्य है। पुराने पद पर रिवर्शन से संबंधित वरिष्ठ अधिकारी अपमानित महसूस करता है, और मातहतों की निगाह में भी उसका कोई मान नहीं रह जाता। उन्होंने यह भी कहा कि रेल प्रशासन के सामने अवश्य ही ऐसा कोई अपरिहार्य कारण रहा होगा, तभी ऐसा अस्वाभाविक निर्णय लिया गया। तथापि यह उचित नहीं कहा जा सकता है।

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