बाराबंकी के आरपीएफ इंस्पेक्टर और कांस्टेबल को रिश्वत लेने के मामले में सीबीआई ने पकड़ा

इस तरह की जबरन वसूली लगभग सभी आरपीएफ पोस्टों पर होती है और इसकी जानकारी नीचे से ऊपर तक के आरपीएफ अधिकारियों को भी है। तथापि प्रकाश में आए कुछेक मामलों में दिखावटी कार्यवाही के अलावा कुछ सुनिश्चित तौर पर नहीं किया जाता। इसीलिए जब कोई ठेकेदार अतिरंजना का शिकार होता है और उसके आत्मसम्मान को चोट पहुंचती है, तभी वह उपरोक्त प्रकार की शिकायत करने के लिए मजबूर होता है!

लखनऊ मंडल, उत्तर रेलवे के बाराबंकी रेलवे स्टेशन के आरपीएफ इंस्पेक्टर/इंचार्ज अखिलेश यादव और कांस्टेबल आशुतोष तिवारी को एक पार्सल लेबर कांट्रेक्टर गुफरान से रिश्वत लेने के मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया।

विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त ठेकेदार ही आरपीएफ इंस्पेक्टर, बाराबंकी के लिए समस्त वसूली का काम करता था। जबकि उसके बिचौलिए का काम उसका कारखास कांस्टेबल आशुतोष तिवारी करता था। सूत्रों का कहना है कि तिवारी यही काम तब भी करता था जब उसकी तैनाती लखनऊ जंक्शन पर थी।

सूत्रों का यह भी कहना है कि ठेकेदार पर रिश्वत की राशि बढ़ाने का जबरदस्त दबाव आरपीएफ इंस्पेक्टर इंचार्ज अखिलेश यादव द्वारा बनाया गया। यही नहीं, यह राशि बढ़ाने के लिए उक्त ठेकेदार के साथ खूब गाली-गलौज भी किया गया। यह भी धमकी दी गई कि अगर उसने रकम नहीं बढ़ाई, तो उसे किसी न किसी मामले में जेल भेज दिया जाएगा।

सूत्रों ने बताया कि इस तरह आजिज आकर आखिर बाराबंकी रेलवे स्टेशन के समीप एक मिठाई की दूकान पर बैठकर आरपीएफ इंस्पेक्टर इंचार्ज अखिलेश यादव एवं कांस्टेबल आशुतोष तिवारी तथा ठेकेदार गुफरान के बीच समझौता हुआ। इसके बाद आईपीएफ यादव फायरिंग हेतु दो दिन के लिए फैजाबाद चले गए। उनके वहां से लौटने के अगले दिन ठेकेदार गुफरान अहमद ने कांस्टेबल तिवारी को ₹25 हजार रुपये नकद दिए।

सूत्रों ने बताया कि ठेकेदार से उक्त रिश्वत राशि लेने के बाद कांस्टेबल आशुतोष तिवारी ने आईपीएफ अखिलेश यादव को फोन करके बताया कि ठेकेदार ने इतनी ही राशि दी है। इसके बाद जाकर उक्त राशि उन्हें सौंप दी।

सूत्रों के अनुसार आईपीएफ यादव एवं कांस्टेबल तिवारी के उत्पीड़न और प्रताड़ना से तंग आए ठेकेदार ने इसकी शिकायत पहले ही सीबीआई को कर दी थी। अतः लगभग एक हफ्ते से सीबीआई टीम इन दोनों की प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखे हुए थी।

सूत्रों ने बताया कि रिश्वत की राशि लेकर जैसे ही आईपीएफ यादव अपने आवास पर पहुंचे, वैसे ही सीबीआई टीम ने उनके आवास पर छापा मारा और रिश्वत की राशि उनके पास से बरामद की। चूंकि सब कुछ रिकार्ड हो रहा था, अतः दोनों के आवास की तत्काल तलाशी भी ली गई।

प्राप्त जानकारी के अनुसार दि. 4-5.12.2021 की दरम्यानी रात को सीबीआई टीम द्वारा की गई उपरोक्त कार्रवाई में आईपीएफ यादव के आवास से रिश्वत राशि के अलावा सीबीआई टीम ने ₹5.63 लाख की नकदी भी बरामद की है।

उपरोक्त तमाम कार्रवाई के बाद सीबीआई टीम ने आईपीएफ इंचार्ज अखिलेश यादव एवं कांस्टेबल आशुतोष तिवारी दोनों को गिरफ्तार कर बाराबंकी कोतवाली ले जाकर पुलिस में मामला दर्ज कराया।

आरपीएफ के जानकार सूत्रों का दावे से कहना है कि इस तरह की जबरन वसूली लगभग सभी आरपीएफ पोस्टों पर होती है और इसकी जानकारी नीचे से ऊपर तक के आरपीएफ अधिकारियों को भी है। तथापि प्रकाश में आए कुछेक मामलों में दिखावटी कार्यवाही के अलावा कुछ सुनिश्चित तौर पर नहीं किया जाता। इसीलिए जब कोई ठेकेदार अतिरंजना का शिकार होता है और उसके आत्मसम्मान को चोट पहुंचती है, तभी वह उपरोक्त प्रकार की शिकायत करने के लिए मजबूर होता है।

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