रेलवे: विभागीय चयन परीक्षाओं में धांधली और भ्रष्टाचार

आरआरसी को खत्म किया जाए, सभी विभागीय चयन खाली बैठे आरआरबी को सौंपे जाएं!

ग्रुप ‘बी’ चयन रेलवे बोर्ड स्तर पर केंद्रीयकृत हो, अथवा यूपीएससी को सौंपा जाए!

विभाग प्रमुखों और यूनियन पदाधिकारियों का भ्रष्टाचार रोकने के लिए केंद्रीयकृत पारदर्शी चयन व्यवस्था स्थापित हो

आज सोमवार, 01.02.2021 को आरआरसी/उत्तर रेलवे के जीडीसीई नोटिफिकेशन नंबर 01/2019, 01/2020 के लिए लुधियाना के ट्रेड सेंटर में परीक्षा ली जाने वाली थी।

ट्रेड सेंटर में लगभग 500 अभ्यर्थी/रेलकर्मी सुबह से ही जमा हो चुके थे, क्योंकि उन्हें रिपोर्टिंग टाइम सुबह 7.30 बजे का दिया गया था।

परंतु ट्रेड सेंटर पर सुबह से ही कोई समुचित वयवस्था नहीं की गई थी और न ही कोई जिम्मेदार अधिकारी वहां उपस्थित था।

सुबह 7:30 बजे से रिपोर्टिंग टाइम होने के बावजूद 9:00 बजे तक भी किसी अभ्यर्थी/रेलकर्मी को सेंटर में प्रवेश नहीं दिया गया, जबकि कुछ अभ्यर्थी वहां अंदर 9:00 बजे परीक्षा देते हुए देखे गए।

यह जानकारी फोन पर कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने दी है।

उन कुछ रेलकर्मियों को अंदर परीक्षा देते देखकर बाहर इकट्ठा सैकड़ों रेलकर्मियों ने भारी हो-हल्ला मचा दिया। तोड़फोड़ की आशंका और हंगामा होते देखकर आनन-फानन में सर्वर बंद कर परीक्षा रद्द होने की बात कह दी गई।

आरआरसी/उत्तर रेलवे ने जिस कंपनी को इस परीक्षा की जिम्मेदारी सौंपी है, उसका सभी परीक्षार्थी रेलकर्मियों ने बहिष्कार किया।

पर यह परीक्षा रद्द हुई या नहीं, रेल अधिकारियों ने इसकी कोई अधिकृत सूचना तत्काल जारी नहीं की।

यह सूचना जीएम/उत्तर रेलवे सहित सभी संबंधित प्राधिकार को “कानाफूसी” द्वारा की गई दो ट्वीट👇के बाद जारी की गई।

उल्लेखनीय है कि इस प्रकार की धांधली रेलवे की हर विभागीय परीक्षा में हो रही है!

रेलवे बोर्ड द्वारा विभागीय परीक्षाओं में भ्रष्टाचार/धांधली पर नियंत्रण के लिए सभी आरआरसी को खत्म करने और यह काम खाली बैठे आरआरबी को सौंपने का निर्णय लेने पर तत्काल विचार किया जाना चाहिए।

ग्रुप ‘सी’ से ग्रुप ‘बी’ के लिए होने वाले विभागीय चयन में सर्वाधिक भ्रष्टाचार निहित होता है। यह सर्वज्ञात है। यह चयन रेलवे बोर्ड स्तर पर ही केंद्रीयकृत किया जाए अथवा इसे यूपीएससी को सौंपा जाए।

आरआरसी को खत्म किया जाना तथा ग्रुप ‘बी’ चयन को रेलवे बोर्ड स्तर पर केंद्रित करना अथवा यूपीएससी को सौंपना न सिर्फ भ्रष्टाचार और धांधली को रोकने के लिए आवश्यक है, बल्कि यह इसलिए भी जरूरी है कि रेलवे के मान्यताप्राप्त संगठनों के कुछ स्वनामधन्य पदाधिकारियों को और ज्यादा भ्रष्ट होने से बचाने के लिए भी ऐसा किया जाना नितांत आवश्यक है।

“क्योंकि ग्रुप ‘बी’ चयन पुनः जोनल रेलों/उत्पादन इकाईयों को लौटाए जाने के पीछे फेडरेशन/यूनियन नेताओं का ही सबसे बड़ा योगदान बताया जा रहा है। वह नहीं चाहते हैं कि उनकी दलाली और कमाई पर कोई प्रतिबंध लगे।” यह कहना है तमाम वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों का।

रेलवे बोर्ड के कई वरिष्ठ अधिकारियों सहित कुछ पूर्व मेंबर्स का भी यही कहना है कि “हालांकि इस पूरी कुव्यवस्था के लिए बोर्ड स्तर पर बैठे कुछ अकर्मण्य कार्मिक अधिकारी जिम्मेदार हैं, परंतु यह जिम्मेदारी सभी विभाग प्रमुखों पर भी आती है, उन्हें भी इस कुव्यवस्था का विरोध करना चाहिए, क्योंकि उनका भी दामन दागदार होता है और कैरियर भी प्रभावित होता है।” उन्होंने कहा कि “यह नीतिगत कार्य और निर्णय यदि वर्तमान व्यवस्था के तहत नहीं हो पाते हैं, तो फिर कभी नहीं हो पाएंगे! यह भी सही है।”

उन्होंने कहा कि “रेलवे बोर्ड को अब पुराना तुगलकी रवैया और मुंहदेखे नियम बनाने/बताने वाला ढ़र्रा छोड़कर ठोस और एकमुश्त निर्णय लेने की अवधारणा पर चलकर इसे मजबूत और सुनिश्चित करना चाहिए।”

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