महिला कल्याण संगठन के नाम पर कर्मचारियों के वेतन से जबरन कटौती
कोटा: पश्चिम मध्य रेलवे द्वारा कर्मचारियों के वेतन से 30 लाख रुपये की जबरन कटौती, या वसूली अथवा गबन का मामला सामने आया है। मामले में खास बात यह है कि रेलवे ने यह पैसे महिला कल्याण संगठन (डब्ल्यूडब्ल्यूओ) के नाम पर काटे हैं। इससे भी बड़ी बात यह है कि वेतन से पैसे काटने के लिए रेलवे ने कर्मचारियों से पूछना तक जरूरी नहीं समझा। इससे कर्मचारियों में भारी आक्रोश है।
मामला खुलने पर अधिकारियों ने इस संबंध में मौन धारण कर लिया है। सूत्रों ने बताया कि रेलवे ने महिला कल्याण संगठन के नाम पर वरिष्ठ अधिकारियों के वेतन से 5 हजार, कनिष्ठ के 2 हजार तथा सुपरवाइजर और कर्मचारियों के वेतन से 50 रुपए काटे हैं। यह पैसे कर्मचारियों के जून माह के वेतन से काटे गए हैं। इसके लिए कर्मचारियों की सहमति नहीं लिए जाने के कारण इस कटौती को सीधा-सीधा गबन या जबरन वसूली माना जा रहा है।
50 हजार कर्मचारियों के वेतन से काटे गए पैसे
सूत्रों ने बताया कि पूरे पश्चिम मध्य रेलवे जोन के कोटा, भोपाल और जबलपुर मंडल सहित मुख्यालय में कार्यरत करीब 50 हजार अधिकारी और कर्मचारी हैं। इनमें 100 से अधिक मुख्य और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं और करीब 150 कनिष्ठ अधिकारी हैं। विरोध करने वाले चुनिंदा लोगों को छोड़कर शेष सभी के वेतन से यह राशि काटी गई है।
कर्मचारियों को नहीं दी गई जानकारी
हालांकि अधिकारियों द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि जो कर्मचारी अपने वेतन से यह राशि नहीं कटवाना चाहते हैं, वे इसकी लिखित सूचना देकर मना कर सकते हैं। लेकिन कर्मचारियों तक यह आदेश पहुंचा ही नहीं। इसके चलते रेलवे ने कर्मचारियों की सहमति मानते हुए उनके वेतन से यह राशि काट ली।
विरोध करने की नहीं हुई हिम्मत
सूत्रों ने बताया कि हालांकि अधिकारियों को इस आदेश की जानकारी मिल गई थी। लेकिन बॉस का आदेश मानते हुए किसी भी अधिकारी की हिम्मत नहीं हुई कि वह इस अवैध वसूली का विरोध कर सके।
हालांकि समय रहते सूचना मिलने पर कई कर्मचारियों ने इस आदेश का विरोध किया था। कोटा मंडल टीआरडी विभाग के दर्जनों कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से हस्ताक्षर कर पैसे काटे जाने के निर्णय को गलत ठहराया था। विरोध करने के बाद रेलवे ने इन कर्मचारियों के वेतन से 50 रुपए नहीं काटे। बाकी सभी के वेतन से 50 रुपए उड़ा लिए गए।
पैसा कटने के बाद चला पता
कई कर्मचारियों को वेतन से पैसा कटने के बाद इसका पता चला। इसके बाद कई कर्मचारियों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। विरोध बढ़ता देख रेलवे ने कर्मचारियों को आश्वस्त किया कि काटी गई राशि जुलाई महीने के वेतन में जोड़ दी जाएगी। कोटा मंडल ब्रिज विभाग के कर्मचारियों ने बताया कि जागृति केंद्र के नाम से उनके वेतन से 50 रुपए काट लिए गए। पूछने पर रेलवे ने जागृति केंद्र के बारे में कोई जानकारी नहीं दी।
कर्मचारियों ने बताया कि इस कटौती के लिए रेलवे ने उनकी सहमति लेना भी जरूरी नहीं समझा। विरोध करने पर अधिकारियों द्वारा जुलाई माह के वेतन में पैसे जोड़े जाने की बात कही जा रही है।
अधिकतर कर्मचारियों को अभी भी पता नहीं
सूत्रों ने बताया कि वेतन स्लिप नहीं मिलने के कारण अधिकतर कर्मचारियों को इस कटौती के बारे में अभी तक पता नहीं चला है। अब वेतन सीधा बैंक में पहुंच जाता है। इसके चलते अधिकांश कर्मचारियों को इस कटौती का पता नहीं है। सूत्रों ने बताया कि पता चलने पर अधिकांश कर्मचारी इस फर्जीवाड़े का विरोध कर सकते हैं। विरोध के चलते रेलवे को इन कर्मचारियों के पैसे भी लौटाने पड़ सकते हैं।
निकाला गया अधिकृत आदेश
सूत्रों ने बताया कि इस पूरे मामले में खास बात यह है कि एक निजी संगठन के लिए कर्मचारियों के वेतन से पैसे काटने के लिए कार्मिक विभाग द्वारा बाकायदा आदेश निकाला गया। सूत्रों ने बताया कि तथाकथित सामाजिक कार्यों के लिए गठित इस संगठन में अधिकारियों की पत्नियां पदाधिकारी हैं।
भोपाल मंडल द्वारा जारी किया गया शुद्धि पत्र
मीडिया में इस मामले के आने और कर्मचारियों द्वारा हंगामा करने के बाद रेलवे को शर्मशार होना पड़ा। तत्पश्चात सीनियर डीपीओ/भोपाल मंडल द्वारा शुक्रवार, 9 जुलाई को एक शुद्धि पत्र जारी किया गया। इसमें कहा गया है कि “30 जून 2021 को उनके कार्यालय से जारी पत्र, जिसमें पश्चिम मध्य रेलवे महिला कल्याण संगठन, (#WCRWWO) जबलपुर के द्वारा जो अनाथ एवं निराश्रित बालकों की देखरेख एवं संरक्षण हेतु जागृति (शेल्टर होम) के संचालन का काम किया जा रहा है, उसमें स्वैच्छिक रूप से आर्थिक सहयोग करने हेतु त्रुटि वश अधिकारी/कर्मचारी लिखा गया था, उसे केवल अधिकारी ही पढ़ा जावे। कर्मचारियों के वेतन से किसी भी तरह की कोई राशि की कटौती नहीं की जानी है। कृपया तदानुसार सभी को अवगत हो!” तथापि कोटा एवं जबलपुर मंडल द्वारा ऐसा कोई शुद्धि पत्र अब तक जारी नहीं किया गया है।
रेलवे में महिला कल्याण संगठन का औचित्य?
मंडलों में डीआरएम की पत्नी अध्यक्ष तथा वरिष्ठ कार्मिक अधिकारी अथवा अन्य किसी ब्रांच अफसर, जो डीआरएम का चहेता होता है, की पत्नी इस संगठन की सचिव होती हैं। इसी तरह जोनल मुख्यालय स्तर पर भी इस कथित संगठन, जिसका रेलवे से कोई संबंध नहीं होता, परंतु जीएम/डीआरएम सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की पत्नियां इसकी कथित कर्ता-धर्ता होती हैं।
कांट्रैक्टरों, सप्लायरों के बाद अब कर्मचारी बने शिकार
इसके माध्यम से कांट्रैक्टरों, सप्लायरों से डोनेशन के नाम पर बाकायदा वसूली होती है। अब यह अवैध वसूली रेलकर्मियों के वेतन तक पहुंच गई है। बताते हैं कि इसी पैसे से जीएम/ डीआरएम के स्वागत-सत्कार और विदाई समारोहों में महंगे गिफ्ट देकर अधिकारियों द्वारा एसीआर इत्यादि में उनका फेवर अर्थात आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
पिछले दिनों इसी मनमानी के चलते डीआरएम/कोटा ने मंडल मुख्यालय में अपने चैंबर से सटे एक चैंबर को बाकायदा महिला कल्याण संगठन, कोटा मंडल की अध्यक्ष अर्थात अपनी पत्नी का कार्यालय बना दिया। जबकि अधिकृत तौर पर रेलवे में इसका कोई प्रावधान नहीं है।
इस सब के चलते डीआरएम/जीएम के गुस्से का शिकार होने से बचने के लिए कोई भी इस संगठन के विरोध की हिम्मत नहीं जुटा पाता। तथापि दबे-छिपे तौर पर आए दिन इस संगठन के विरोध में आवाज उठती रहती है। रेलमंत्री और रेल प्रशासन को इस विषय अर्थात अवैध रूप से अधिकृत वसूली पर रेलवे की अधिकृत नीति स्पष्ट करनी चाहिए।
क्या रेलमंत्री करेंगे कंडक्ट रूल के उल्लंघन पर डीआरएम/जयपुर के विरुद्ध कार्रवाई?
बधाई देने रेलमंत्री की ससुराल जा पहुंची @DRMJaipur मंजूषा जैन!
— RAILWHISPERS (@Railwhispers) July 11, 2021
चापलूसी,चमचागीरी और गुलामी की पराकाष्ठा
निरीक्षण के बहाने यह अनुचित कृत्य कंडक्ट रूल का उल्लंघन है!
मंत्री को इसी तरह शीशे में उतारते हैं रेल अधिकारी
क्या MR @AshwiniVaishnaw, DRM के विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई करेंगे? pic.twitter.com/vMbJDpEL5I
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