नए श्रम कानून लागू होने पर नौकरियां बढ़ने के बजाय घटने की आशंका

श्रम कानूनों का हश्र किसान कानूनों जैसा न होने पाए, यह सरकार की बड़ी जिम्मेदारी है!

केंद्र सरकार जल्दी ही नए श्रम कानून लागू करने जा रही है। देश में नए श्रम कानूनों के प्रावधानों के लागू होने पर उद्योग जगत को नौकरियां बढ़ने के बजाए घटने की चिंता सता रही है।

उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ – सीआईआई – ने सरकार को भेजे अपने सुझाव में कहा है कि बेसिक सैलरी यानि मूल वेतन का हिस्सा बढ़ाने के प्रस्ताव से नई नौकरियों पर असर देखने को मिल सकता है।

सीआईआई के अनुसार उद्योग जगत की ओर से नए वेज नियमों में भत्तों का हिस्सा कुल सैलरी में 50% से ज्यादा न रखने का प्रस्ताव किया गया है।

इससे पीएफ के साथ-साथ ग्रेच्युटी भी औसतन 35-45% तक बढ़ सकती है।

इस व्यवस्था से कोरोना से धीरे-धीरे उबर रहे उद्योग जगत के सैलरी बिल में काफी बढ़ोतरी हो जाएगी।

उद्योग संगठनों ने ये भी कहा है कि अगर ये नियम वर्तमान परिस्थितियों में लागू हुए तो कंपनियों को इस मद में अतिरिक्त रकम रखनी होगी, जिससे कारोबारी गतिविधियों को चला पाना या बढ़ाना और नई नौकरियां देना मुश्किल हो जाएगा।

सीआईआई ने इन नियमों को कम से कम एक साल तक स्थगित रखने का सुझाव देते हुए सरकार से इस बारे में व्यापक अध्ययन के बाद ही इन्हें लागू करने की अपील की है।

इस बारे में श्रम मंत्रालय के साथ-साथ वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को भी उद्योग जगत की तरफ से एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा गया है।

उद्योग जगत और श्रम संगठनों ने केंद्र सरकार से अपील की कि है नए श्रम कानूनों की बकायदे जांच-पड़ताल करके ही इन्हें लागू किया जाए।

उद्योग एवं श्रम संगठनों ने सरकार को यह भी चेतावनी दी है कि श्रम कानूनों का हश्र भी किसान कानूनों जैसा न हो, वरना रोजी-रोजगार से वंचित करोड़ों श्रमिक सड़क पर आ जाएंगे, जिससे देश भर में एक और बड़ी अराजकता पैदा हो सकती है।

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