जो पकड़ा गया वह चोर, बाकी सब साहूकार

ईडी ने दर्ज किया दो वरिष्ठ रेल अधिकारियों के खिलाफ मनी लांड्रिंग का मामला

प्रयागराज: रेलवे के निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार और रिश्वत मांगने के आरोप में उत्तर मध्य रेलवे के दो वरिष्ठ अधिकारियों की मुसीबतें और बढ़ने वाली हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ मनीलांड्रिंग का मामला दर्ज किया है।

इसके अलावा ज्ञात हो कि उक्त दोनों अधिकारियों की समस्त संपत्तियों की भी जांच की जा रही है। उल्लेखनीय है कि दोनों के खिलाफ सीबीआई मुकदमा दर्ज करके पहले से ही जांच कर रही है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार लूकरगंज की शार्प इंटरप्राइजेज नामक कंपनी के मैनेजर अवधेश मिश्रा ने दो साल पहले फरवरी में सीबीआई लखनऊ के पास एक शिकायत दर्ज करवाई थी। उन्होंने बताया था कि उनके नजदीकी रिशतेदार रवींद्र कुमार चौधरी शार्प इंटरप्राइजेज के मालिक हैं।

उन्होंने बताया कि कंपनी को उत्तर मध्य रेलवे से रेलवे ओवर ब्रिज के निर्माण का टेंडर मिला था। कंपनी ने निर्माण शुरू भी किया और बारी-बारी से बिल भी प्रस्तुत किए। इनका भुगतान भी रेलवे द्वारा किया गया।

इस दौरान तीसरा बिल, जो कि 12 लाख रुपए का था, प्रस्तुत करने का दबाव उत्तर मध्य रेलवे, प्रयागराज मंडल के सीनियर डिवीजनल सिग्नल एंड टेलीकॉम इंजीनियर नीरज पुरी गोस्वामी और डिविजनल सिग्नल एवं टेलीकॉम इंजीनियर पी. के. सिंह ने रवींद्र कुमार चौधरी पर बनाया।

उन्होंने कहा कि बिल पर जबरन हस्ताक्षर कराकर 12 लाख रुपए का भुगतान भी करा दिया। दोनों अफसरों ने इसके बाद अपना खेल जारी रखते हुए भुगतान में मिली रकम से दस लाख रुपए बतौर घूस मांगी।

अवधेश मिश्रा ने कहा कि इससे रवींद्र चौधरी को काफी मानसिक यातनाएं भी झेलनी पड़ी। सीबीआई लखनऊ के सब इंस्पेक्टर अवनीश गुप्ता ने मामले की जांच शुरू की तो आरोप सही पाए गए।

सीबीआई ने नीरज पुरी गोस्वामी एवं पी. के. सिंह के खिलाफ 8 मार्च 2019 को एफआईआर दर्ज की थी।

सीबीआई की एफआईआर को आधार बनाकर ईडी ने नीरज पुरी गोस्वामी एवं पी. के. सिंह पर शिकंजा कसने की पूरी तैयारी कर ली है। दो साल पहले सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर को आधार बनाकर दोनों के खिलाफ मनी लांड्रिग का मुकदमा दर्ज किया गया है।

मुकदमे के साथ ईडी दोनों अधिकारियों तथा उनके परिजनों की संपत्तियों के बारे में भी जानकारी जुटाने में जुट गई है।

सूत्रों के अनुसार, अलग-अलग शहरों में दोनों अधिकारियों की कई संपत्तियों के बारे में सूचना मिली है।

इसके अलावा दोनों के बैंक खातों और लाकर्स के बारे में भी पता लगाया जा रहा है।

जानकारों का कहना है कि यही तो है सरकारी भ्रष्टाचार का असली खेल, जहां निकलने को तो हाथी (चौधरी एंड चौधरी) निकल जाता है, मगर यदि किसी (नीरज एंड पीके) को जानबूझकर अटकाना ही होता है, तो पूंछ भी अटक जाती है। उन्होंने कहा कि भ्रष्ट तो लगभग सभी हैं, मगर जो पकड़ा गया वह चोर, बाकी सब साहूकार होते हैं!

इनपुट्स – हिंदुस्तान

Exit mobile version