समय पर यथोचित निर्णय न लेने वाले अधिकारियों पर समय पर उचित कार्रवाई सुनिश्चित करो सरकार!

हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ, जिसमें वह अत्यंत सौम्य शब्दों में अनिर्णय का शिकार और समयोचित निर्णय लेने में कोताही करने वाले अधिकारियों को सार्वजनिक तौर पर गहरी लताड़ लगा रहे हैं।

निकम्मे, कामचोर अधिकारियों की कार्य प्रणाली पर प्रहार करते केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी

परंतु ऐसा रेल मंत्रालय में कभी देखने-सुनने में नहीं आया कि ऐसे निकम्मे, नालायक और कामचोर रेलकर्मियों और अधिकारियों के खिलाफ मंत्री द्वारा कभी कुछ कहा-सुना गया हो, जबकि इनकी इसी कामचोरी की बदौलत लाखों मामले सरकार के खिलाफ अदालतों में लंबित हैं।

एक मामला कैटरिंग यूनिट्स की लाइसेंस फीस को लेकर सामने आया है। रेलवे बोर्ड ने जून में सभी जोनल रेलों को नीतिगत निर्देश दिया था कि स्टेशनों पर स्थित कैटरिंग यूनिट्स की कोरोना काल की लाइसेंस फीस पर शीघ्र निर्णय लें!

बोर्ड ने इसके लिए यथोचित दिशा-निर्देश भी जारी किया था! सभी जोनल रेलों ने बोर्ड के आदेश का पालन किया और जरूरत पड़ने पर बोर्ड से स्पष्टीकरण भी मांगा!

परंतु उत्तर रेलवे वाणिज्य मुख्यालय ने अपनी बला मंडलों के मत्थे मढ़ दी। उत्तर रेलवे मुख्यालय और मंडलों के बीच बोर्ड का यह आदेश फुटबॉल बना हुआ है, जो अब तक अनिर्णीत है!

जबकि कैटरिंग यूनिट्स धारक इस अनिर्णय की स्थिति से परेशान हैं, क्योंकि एक तरफ जहां गाड़ियां पूर्ववत चालू नहीं हैं, उनकी कोई अर्निंग नहीं हुई है, वहीं दूसरी तरफ उनके ऊपर लाइसेंस फीस भरने की तलवार लटक रही है।

होना तो यह चाहिए था कि जितने समय तक कंप्लीट लॉकडाउन था, उतने समय की पूरी लाइसेंस फीस तुरंत माफ करने का आदेश सीधे रेलवे बोर्ड की तरफ से ही दे दिया जाता। तथापि यदि यह निर्णय संबंधित जोनल वाणिज्य अधिकारियों के विवेक पर छोड़ा गया था, तब भी इसके आधारभूत तथ्य में कोई परिवर्तन नहीं होता है।

परंतु उत्तर रेलवे के मूढ़धन्य वाणिज्य अधिकारियों ने न तो खुद अपने विवेक का उचित उपयोग किया और न ही उन्होंने इस मामले को आजतक महाप्रबंधक के संज्ञान में लाने की जरूरत समझी। जबकि अन्य जोनों ने न सिर्फ बोर्ड के आदेश का पालन किया, बल्कि जरूरत पड़ने पर बोर्ड से स्पष्टीकरण भी लिया है।

इस प्रकार के मामलों में यदि कोई बात समझ में नहीं आती है, या कोई असमंजस की स्थिति होती है, तब सामान्यतः संबंधित जोनल अधिकारी अपने अन्य समकक्ष जोनल अधिकारियों से भी विचार-विमर्श कर लेते हैं और जिस जोन के निर्णय को वे सबसे ज्यादा सुसंगत पाते हैं, उसी के अनुरूप अपने जोन में भी उसका अनुसरण कर लेते हैं।

मगर उत्तर रेलवे के वाणिज्य अधिकारियों ने ऐसा भी करना जरूरी नहीं समझा। अतः समयोचित निर्णय न लेने वाले उत्तर रेलवे वाणिज्य मुख्यालय के संबंधित वाणिज्य अधिकारियों के विरुद्ध जीएम/उ.रे. और रेलवे बोर्ड को तत्काल उचित कार्रवाई सुनिश्चित करना चाहिए!

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